मीरजापुर: कर्म
खर्च व बगैर तारों के जंजाल के दुर्गम पहाड़ियों व जंगलों के बीच स्थित गांवों में
सौर उर्जा प्लांट लगाने की योजना फाइलों में ही दम तोड़ रही है। दो साल पहले दर्जन
भर गांवों को योजना में शामिल किया गया था लेकिन बजट के अभाव में काम नहीं हो
पाया। इससे योजना अधर में लटकी पड़ी है।
राजगढ़ विकास
खंड के जंगल महाल, शक्तेशगढ़, पटेहरा के ककरद, वनकी, लेदुकी हलिया के मतवार,
कुशियरा, सगरा, नदना, अदवा, सुखड़ा आदि गांव ऐसे हैं जहां विद्युतीकरण नहीं है।
इसके लिए यहां 15 से 20 किलोमीटर लंबा तार खिंचना पड़ेगा। एक-एक गांव के लिए पचास
लाख से एक करोड़ का बजट चाहिए। ऐसे में यहां सौर उर्जा की व्यवस्था आसान है। इसमें
न तो तार का झंझट है और न ही ट्रांसफार्मर लगाने की आवश्यकता। 50-60 हजार के बजट
से पूरा गांव गुलजार हो जाएगा। शासन के निर्देश पर योजना भी बनी और जिले स्तर से
प्रशासनिक स्वीकृति देकर प्रस्ताव शासन को भेजा भी गया जब बजट देने की बारी आई तो
फाइल को वैकल्पिक उर्जा विभाग के ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जनप्रतिनिधि भी
शासन स्तर पर पहल नहीं कर पा रहे हैं। सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
का वैकल्पिक उर्जा विभाग पर विशेष जोर है। यह विभाग भी उन्हीं के पास है। उन्होंने
पहल कर 200 करोड़ का बजट भी स्वीकृत कराया है। विभागीय अधिकारी दावा कर रहे हैं कि
अब बजट के अभाव में अटकी योजनाओं पर धन अवमुक्त हो सकेगा।
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