ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को देखते हुए जन साधारण को अब स्वयं प्रयास के माध्यम से सौर उर्जा उपयोग में जागरूकता लानी होगी । तभी हम आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ जलवायु दे पाएंगे साथ ही वातावरण में कार्बन उत्सर्जन में कमी कर पाएंगे । आज ग्लोबल वार्मिंग के खतरे और उर्जा के उपयोग में दिन प्रतिदिन वृद्धि ने हमें सोचने पर विवश कर दिया है कि उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कैसे और कितना करें । प्राकृतिक संसाधनों से उर्जा की आवश्यकताओं को परिणित करने की दिशा में हैदराबाद स्थित एक चलचित्र केंद्र ( सिनेमा हाल ) ने सौर उर्जा के उपयोग को अमल में लाते हुए एक उदहारण जनसाधारण को दिया है । प्रसाद आईमैक्स नाम कि सिनेमा हाल ने १०० किलोवाट का सोलर पॉवर सयंत्र लगा कर कार्बन उत्सर्जन में कमी के प्रयास में में एक अनुकर्णीय कदम उठाया है । ज्ञातव्य है की इस से पहले अमेरिका और यूरोप में कुछ सिनेमा हाल सौर उर्जा के माध्यम से विद्युत् आपूर्ति लेकर चलाये जा रहे हैं ।
Saturday, 24 September 2011
सौर उर्जा के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले की कीमत में वृद्धि की प्रवृत्ति के बीच सौर उर्जा का रास्ता अपनाने से देश में किए जाने कोयले के आयात में 30 प्रतिशत से अधिक की कटौती हो सकती है।
एक सर्वे में कहा है कि फिलहाल, भारत की कुल उर्जा जरूरतों में से 30 प्रतिशत तेल, कोयला तथा एलएनजी जैसे आयातित स्रोत के जरिए पूरा किया जाता है। अगर इसका हल नहीं निकाला गया तो अगले 20 साल में यह 59 प्रतिशत तक जा सकता है।
भारत का उर्जा भविष्य तथा कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिहाज से अगले 20 साल में सौर बिजली की अहम भूमिका होगी। एक सर्वेक्षण के अनुसार सौर उर्जा के उपयोग से 2021-22 तक देश की कुल कोयला जरूरत में 30 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। इससे कोयले के आयात पर कुल खर्च में से सालाना 5.5 अरब डॉलर की बचत होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक सौर उर्जा 2021-22 तक कुल उर्जा जरूरत का 5 से 7 प्रतिशत पूरा कर सकता है तथा कार्बन उत्सर्जन के कटौती लक्ष्य में 10 प्रतिशत से अधिक का योगदान दे सकता है।
एक सर्वे में कहा है कि फिलहाल, भारत की कुल उर्जा जरूरतों में से 30 प्रतिशत तेल, कोयला तथा एलएनजी जैसे आयातित स्रोत के जरिए पूरा किया जाता है। अगर इसका हल नहीं निकाला गया तो अगले 20 साल में यह 59 प्रतिशत तक जा सकता है।
भारत का उर्जा भविष्य तथा कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिहाज से अगले 20 साल में सौर बिजली की अहम भूमिका होगी। एक सर्वेक्षण के अनुसार सौर उर्जा के उपयोग से 2021-22 तक देश की कुल कोयला जरूरत में 30 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। इससे कोयले के आयात पर कुल खर्च में से सालाना 5.5 अरब डॉलर की बचत होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक सौर उर्जा 2021-22 तक कुल उर्जा जरूरत का 5 से 7 प्रतिशत पूरा कर सकता है तथा कार्बन उत्सर्जन के कटौती लक्ष्य में 10 प्रतिशत से अधिक का योगदान दे सकता है।
आखिर सौर उर्जा कैसे जन साधारण तक पहुंचे
सौर उर्जा के विकास में केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश की के बीच अब टकराहट की प्रतिध्वनि तेज होती जा रही है। एक के बाद एक कर केंद्र सरकार द्वारा राज्य के साथ अनेक मामलों में सख्ती बरती जा रही है। हाल ही में मध्य प्रदेश में उर्जा की बचत के लिए सौर उर्जा इकाईयों की स्थापना का काम ठण्डे बस्ते के हवाले होता दिख रहा है। सौर उर्जा संयंत्रों की स्थापना पर केंद्र सरकार द्वारा अनुदान दी जाती है, किन्तु अहर्ताएं पूरी न हो पाने से मध्य प्रदेश के खाते की अनुदान अभी खटाई में ही है।
केंद्रीय नवीनीकृत उर्जा मंत्रालय के द्वारा कि सौर उर्जा संयंत्रों की स्थापना में केंद्र सरकार द्वारा अनुदान प्रदान की जाती है। ज्ञातव्य है कि मंत्रालय की गाईड लाईन के अनुसार सौर उर्जा संयंत्र में प्रयुक्त होने वाली बैटरी के रख रखाव को लेकर उलझन अभी भी बनी हुई है। केंद्र सरकार चाहती है कि मध्य प्रदेश सरकार इन बैटरीयों के रखरखाव की जवाबदारी अपने सर ले। इस आशय का पत्र भी मंत्रालय द्वारा मध्य प्रदेश सरकार को भेजा जा चुका है।
सूत्रों ने कहा कि दो माह पूर्व लिखे इस पत्र का जवाब देना मध्य प्रदेश सरकार के उर्जा विभाग या उर्जा विकास निगम ने मुनासिब नहीं समझा है। इसके साथ ही साथ मध्य प्रदेश से आए लाखों आवेदनों में अधिकांश होम लाईट के हैं जिन पर सब्सीडी देने से केंद्रीय मंत्रालय ने पूर्व में ही साफ तौर पर इंकार कर दिया था।
केंद्रीय नवीनीकृत उर्जा मंत्रालय के द्वारा कि सौर उर्जा संयंत्रों की स्थापना में केंद्र सरकार द्वारा अनुदान प्रदान की जाती है। ज्ञातव्य है कि मंत्रालय की गाईड लाईन के अनुसार सौर उर्जा संयंत्र में प्रयुक्त होने वाली बैटरी के रख रखाव को लेकर उलझन अभी भी बनी हुई है। केंद्र सरकार चाहती है कि मध्य प्रदेश सरकार इन बैटरीयों के रखरखाव की जवाबदारी अपने सर ले। इस आशय का पत्र भी मंत्रालय द्वारा मध्य प्रदेश सरकार को भेजा जा चुका है।
सूत्रों ने कहा कि दो माह पूर्व लिखे इस पत्र का जवाब देना मध्य प्रदेश सरकार के उर्जा विभाग या उर्जा विकास निगम ने मुनासिब नहीं समझा है। इसके साथ ही साथ मध्य प्रदेश से आए लाखों आवेदनों में अधिकांश होम लाईट के हैं जिन पर सब्सीडी देने से केंद्रीय मंत्रालय ने पूर्व में ही साफ तौर पर इंकार कर दिया था।
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