Friday, 29 April 2011

ऊर्जा का सर्वश्रेष्ठ विकल्प सौर ऊर्जा

वर्तमान में हमारा देश ऊर्जा की समस्या से जूझ रहा है। सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तरप्रदेश में बिजली रहती ही नहीं है। ग्रामीण इलाकों की तो छोड़िए वहाँ के ज्यादातर बड़े शहर भी बिजली से महरूम हैं और छोटे-बड़े घरों में जनरेटर तथा इनवर्टर मिलना आम बात है।
इसी प्रकार मध्यप्रदेश जैसे बड़े प्रदेशों में भी बिजली का संकट है। यहाँ ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे बिजली गुल रहती है। जिला मुख्यालय और संभागीय मुख्यालय भी 'बिजली कट' की चपेट में जब-तब आते रहते हैं। यह स्थिति कमोबेश सभी प्रदेशों में है। इतनी समस्या के बावजूद हमारे देश में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर कम ही चर्चा होती है। अगर वैकल्पिक ऊर्जा की बात की जाए तो भारत की ऊर्जा समस्या के लिए 'सौर ऊर्जा' एक बेहतर और जोरदार विकल्प साबित हो सकती है। भारत संसार के कुछ उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जहाँ 1700 किलोवॉट सौर ऊर्जा प्रति वर्गमीटर प्रति वर्ष की दर से गिरती है। सूर्य की यह तेजी पूरे भारत में लगभग वर्ष भर रहती है और सर्दी तथा गर्मी में इसकी तेजी में ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। इस देश में बारिश के मौसम में भी कई जगह अच्छी-खासी धूप पड़ती है। भारत सरकार अगर चाहे तो इस वैकल्पिक और ताकतवर ऊर्जा का सही उपयोग कर देश की ऊर्जा समस्या को काफी हद तक सुलझा सकती है।
सौर ऊर्जा इतनी ताकतवर होती है कि इससे एक लाख मेगावाट ऊर्जा मात्र 8000 वर्ग किमी क्षेत्र से हासिल की जा सकती है। मतलब भारत के हिसाब से उपयुक्त सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर यह उपलब्धि हासिल की जा सकती है। भारत की कुल ऊर्जा जरूरत (इंस्टॉल्ड कैपेसिटी) वर्तमान में एक लाख 45000 मेगावॉट है। मतलब मात्र 8000 वर्ग किमी क्षेत्र से हम इतनी सौर ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं कि वह भारत की कुल ऊर्जा जरूरत का एक बड़ा भाग पूरा कर सकती है। जबकि हम एक लाख 45000 मेगावॉट ऊर्जा को कई प्रकार से प्राप्त करते हैं। इनमें पन (पानी) ऊर्जा, ताप ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा और पवन ऊर्जा आदि शामिल हैं। अगर हम 8000 वर्ग किमी भूमि का विश्लेषण करें तो यह भारत के हिसाब से बहुत कम है। यह मध्यप्रदेश की कुल भूमि का मात्र ढाई प्रतिशत है। ऐसे में अगर सौर ऊर्जा को एक विकल्प के तौर पर परखा जाए तो यह बाकी ऊर्जा के मुकाबले कहीं अधिक आसान और सस्ती पड़ेगी।

No comments:

Post a Comment